स्ट्रेस से रहें दूर
ऐसे युवाओं का डिप्रेशन का शिकार होना या अति तनावग्रस्त होना अस्वाभाविक नहीं है। इनके लिए व्यावहारिक सलाह यही है कि वे अब भी इन बचे दो महीनों को विभिन्न विषयों के अनुरूप टाइम टेबल बनाकर ईमानदारी से इस्तेमाल करें तो सम्मान जनक रिजल्ट लाना कोई मुश्किल नहीं है।
स्टूडेंट्स की मनःस्थिति और एग्जाम के बोझ से उपजा यह तनाव कम करने के लिए कुछ बिल्कुल सिंपल लेकिन इंपोर्टेंट पहलुओं पर ध्यान दिलाने की कोशिश हम यहाँ कर रहे हैं।
* ध्यान रखें कि दिनभर के 24 घंटों में से 18 या 20 घंटे पढ़ने का अव्यावहारिक टाइम टेबल बनाने की भूल बिलकुल न करें। हद से हद 12 घंटे का रोज पढ़ने का समय रखें । इसमें भी बीच-बीच में आराम जरूरी है।
* देर रात तक पढ़ने की आदत कतई न डालें, अगर ऐसा करने के लिए बार-बार चाय या काफी पीते हैं तो वह और भी खराब है। इस प्रकार स्वयं को जगाए रखने का कुप्रभाव शीघ्र आपको मानसिक थकान के रूप में झेलना पड़ सकता है।
* एकाएक अपनी दिनचर्या नहीं बदलें। दूसरे शब्दों में रोज थोड़ा-थोड़ा बदलाव करने की रणनीति कारगर सिद्ध हो सकती है। उदाहरण के लिए स्वयं को एकाएक घर में कैद कर पढ़ने का तरीका सही नहीं होगा।
* फेल होने का हमेशा भय या कम अंकों के आने की स्थिति में अपमानित होने या अभिभावकों के प्रचंड रूप का सामना करने का फोबिया होने पर पढ़ाई पर ध्यान पूरी तरह से केंद्रित कर पाना नामुमकिन होगा। इस प्रकार के खयाल से जितना दूर रहा जाए उतना रिलेक्स महसूस करेंगे।
* पेरेंट्स और टीचर्स से लगातार हौसला अफजाई आत्मविश्वास बढ़ाने में सबसे कारगर भूमिका अदा करती है।
* पढ़ाई में संपूर्ण ध्यान केंद्रित करने के लिए अंधेरे कमरे में स्टडी टेबल पर टेबल लैंप लगाकर पढ़ें। इससे आपका ध्यान नहीं भटकेगा।
* अपने सोने के समय से कम से कम एक घंटा पहले पढ़ाई रोक दें आंखों पर ठंडे पानी के छींटे डालें और थोड़ा टहल लें। इससे थकान में कमी महसूस होगी और नींद गहरी आएगी।
* अपनी काबिलियत पर आप ही भरोसा नहीं रखेंगे तो अन्य लोगों से कैसे ये अपेक्षा रख सकते हैं।
* तनाव कम करने के नाम पर किसी भी तरह की दवा लेनी सही नहीं है। इनके साइड इफेक्ट्स से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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