Definition: Prepositions are a class of words that indicate relationships between nouns, pronouns and other words in a sentence. Most often they come before a noun. They never change their form, regardless of the case, gender etc. of the word they are referring to. Some common prepositions are:
Prepositions typically come before a noun: For example:
A preposition usually indicates the temporal, spatial or logical relationship of its object to the rest of the sentence. For example:
In each of the preceding sentences, a preposition locates the noun "book" in space or in time. Prepositions are classified as simple or compound. Simple prepositions Simple prepositions are single word prepositions. These are all showed above. For example:
Compound prepositions Compound prepositions are more than one word. in between and because of are prepositions made up of two words - in front of, on behalf of are prepositions made up of three words. For example:
Examples:
The following table contains rules for some of the most frequently used prepositions in English: Prepositions of Time:
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Tuesday, November 23, 2010
PREPOSITION
Monday, November 22, 2010
Sunday, November 21, 2010
एक्जाम में कमाएँ अच्छे मार्क्स
एक्जाम में कमाएँ अच्छे मार्क्स
मेहनत के साथ कुछ एस्ट्रो उपाय
त्योहारों के खत्म होते ही परीक्षा का समय आ जाएगा। एक्जाम टाइम में युवाओं के दिल की धड़कने बढ़ने लगती है। कितनी ही मेहनत की हो, नर्वस हो जाना आम बात है। कई स्टूडेंट्स तो परीक्षा हॉल में घुसते ही सब भूल जाते हैं। ऐसे में कुछ एस्ट्रो उपाय कारगर हो सकते हैं। पढ़ाई के साथ इन्हें भी अपनाएँ और देखें चमत्कार....
* परीक्षा का संबंध मेमोरी से है, जो बुध की देन है। बुध को मजबूत करने के लिए खूब सलाद और हरी सब्जियाँ खाएँ। गणेश जी के दर्शन करें। गाय को हरी घास खिलाएँ। कुंडली की स्थिति के अनुसार पन्ना पहनने से लाभ होता है। शंखपुष्पी का सेवन भी लाभ देता है।
* परीक्षा भवन में मानसिक संतुलन का कारक है चंद्रमा! चंद्रमा का मजबूत होना आत्मविश्वास बढ़ाता है। सफेद वस्तु का सेवन करने से, दान करने से, शिव के दर्शन व शिव चालीसा पढ़ने से, कनिष्ठा ऊँगली में चाँदी का छल्ला पहनने से तथा चाँदी के गिलास में पानी पीने से चंद्र मजबूत होता है। कुंडली में चंद्र की स्थितिनुसार मोती पहनने से लाभ होता है।
कुछ स्पेशल एस्ट्रो टिप्स :
* तुलसी के पत्तों को मिश्री के साथ पीसकर प्रतिदिन उसका रस पीने से मेमोरी बढ़ती है।
* पुष्य नक्षत्र में 'योगेश्वर श्रीकृष्ण प्रसन्नो भव:' मंत्र को सुनहरी कैप वाले लाल रंग, लाल स्याही के पेन से 31 बार लिखें, 108 बार जाप करके अपने साथ ले जाएँ।
* एक्जाम हॉल में जाने से पहले 'गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई। अल्पकाल विद्या सब आई।' चौपाई का 108 बार जाप करने से सफलता मिलती है।
* पढ़ाई में मन न लगने पर मंगलवार के दिन मसूर की लाल दाल लाल कपड़े की थैली में डालकर पॉकेट में रखें, पढ़ने में रुचि जागेगी।
* 'ऊँ ह्रीं अर्हंणमो क्रुद्ध बुद्धिणं' या 'वद् वद् वागवादिनी नम:' मंत्र का 108 बार लगातार 14 दिन तक जाप करें तथा सरस्वती का ध्यान कर उन्हें लाल पुष्प व लाल वस्त्र चढ़ाएँ... सफलता निश्चित मिलती है। यह कार्य वसंत पंचमी से प्रारंभ करें या किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से प्रारंभ करें।
* गुरु के सान्निध्य में बैठे, माता-पिता की सेवा करें, गाय को गुड़-चने की दाल खिलाएँ तथा इष्ट का ध्यान करें।
विशेष नोट : इन उपायों के साथ मेहनत करना भी जरूरी है
प्रशासक नहीं प्रबंधक चाहिए
इस बदलाव को भिन्न-भिन्न नजरिए से देखा जा रहा है। एक तरफ विशेषज्ञों का मत है कि यह परिवर्तन सही मायनों में एक कुशल अधिकारी तलाशने में कामयाब होगा वहीं तैयारी में लगे विद्यार्थियों का कहना है कि 2011 की यूपीएससी परीक्षा में इसे लागू करने के बजाय सन 2012 में आरंभ किया जाए क्योंकि फिलहाल वे मानसिक रूप से इस परीक्षा के लिए तैयार नहीं है।
अब तक क्या थी प्रक्रिया : वर्तमान में आईएएस की परीक्षा के लिए होने वाली प्राथमिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र होते थे। एक 150 अंक का सामान्य अध्ययन का प्रश्नपत्र। दूसरे वैकल्पिक तौर पर(ऑप्शनल) चयनित विषय से संबंधित प्रश्नपत्र जो कि 300 अंक का होता था। इन दो प्रश्नपत्रों को उत्तीर्ण करने के उपरांत ही प्रत्याशी मुख्य परीक्षा में बैठने के योग्य होता था।
क्या हुआ बदलाव : अब सरकार ने घोषणा की है कि 300 अंक के किसी वैकल्पिक विषय के स्थान पर एक ऐसा परीक्षण प्रश्नपत्र होगा जिससे भावी अधिकारी की विश्लेषण क्षमता, त्वरित निर्णय लेने की योग्यता, सकारात्मक सोच, विपरीत परिस्थिति में संतुलन बनाए रखने का गुण, सुयोग्य प्रबंधक की दक्षता आदि का सही परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन होगा।
कैसा होगा प्रश्नपत्र : हालाँकि अभी इसका स्वरूप निर्धारित करने में 2 महीने लगेंगे। एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई है जो इस पर कार्यरत है। लेकिन मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि इस प्रश्नपत्र में मनोविज्ञान और व्यक्तित्व विकास से जुड़े सहज वस्तुनिष्ठ(ऑबजेक्टिव) प्रश्न होंगे। इन प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तर होगें। विद्यार्थी को किसी एक का चयन करना होगा। इनमें विविध अभिरूचि, सामाजिक दक्षता व विश्लेषणपरक क्षमता आदि से संबंधित प्रश्न होंगे।
क्यों है विरोध : जब घोषणा की गई तब यह नहीं स्पष्ट किया गया कि 2011 में इसे लागू किया जाएगा तो यह रिक्तियों के लिए लागू होगा या परीक्षा के लिए। क्योंकि दिसंबर में जो रिक्तियाँ आएँगी वे 2010 के लिए होंगी। तैयारी कर रहे विद्यार्थी कहते हैं कि अगर यूपीएससी की आने वाली परीक्षा में परिवर्तित पैटर्न लागू हुआ तो वैकल्पिक विषय की उनकी तैयारी व्यर्थ हो जाएगी साथ ही एप्टीट्यूड टेस्ट की सही जानकारी के अभाव में उनका भविष्य खराब हो सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि विरोध करने वाले अल्पज्ञानी है क्योंकि परीक्षा का नया पैटर्न किसी विशेष तैयारी की माँग नहीं करता बल्कि यह आपके भीतरी गुणों और दृष्टिकोण का आकलन करता है।
क्या होगा संभावित पाठ्यक्रम
विविध अभिरूचि
एडमिनिस्ट्रेटिव एप्टीट्यूड
इकोनोमी एप्टीट्यूड
सोशल एप्टीट्यूड
कूट परीक्षण
व्यावहारिक ज्ञान
किसे मिलेगा फायदा : वे लोग जो कैट और सेना की परीक्षा की तैयारी कर चुके हैं, वे लोग जो मैनेजमेंट की परीक्षाएँ दे चुके है उनके लिए यह परीक्षा आसान होगी। जो लोग पत्रकारिता और मॉस कम्यूनिकेशन जैसे क्षेत्रों से जुड़ें हैं। इंटरनेट पर जो लगातार ज्ञान अर्जित करते हैं। जो देश के मुद्दों पर अपनी मौलिक सोच रखते हैं। जो एक साथ एक ही समय में कई मोर्चों पर निपटने में सक्षम हैं। जो चुनौतीपूर्ण पहेलियाँ हल करने में माहिर है। उन सभी को इस बदलाव का उचित फायदा मिलेगा। कुल मिलाकर जिसमें किसी कंपनी के सीईओ की तमाम योग्यता हो वह फायदे में रहेगा।
पुस्तकें जो लाभ देगीं : वैसे तो सिलेबस तैयार होने पहले किसी भी प्रकार की सलाह जल्दबाजी होगी लेकिन मैनेजमेंट से संबंधित हर प्रकार और पहलू की पुस्तकें उपयोगी होगी। सकारात्मक सोच और व्यक्तित्व विकास की पुस्तकें फायदा देगीं। मानसिक योग्यता बढ़ाने वाली, देश की समस्याओं पर तैयार ताजातरीन निबंधों की पुस्तकें लाभ दे सकती हैं
प्रशासक नहीं प्रबंधक चाहिए
इस बदलाव को भिन्न-भिन्न नजरिए से देखा जा रहा है। एक तरफ विशेषज्ञों का मत है कि यह परिवर्तन सही मायनों में एक कुशल अधिकारी तलाशने में कामयाब होगा वहीं तैयारी में लगे विद्यार्थियों का कहना है कि 2011 की यूपीएससी परीक्षा में इसे लागू करने के बजाय सन 2012 में आरंभ किया जाए क्योंकि फिलहाल वे मानसिक रूप से इस परीक्षा के लिए तैयार नहीं है।
अब तक क्या थी प्रक्रिया : वर्तमान में आईएएस की परीक्षा के लिए होने वाली प्राथमिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र होते थे। एक 150 अंक का सामान्य अध्ययन का प्रश्नपत्र। दूसरे वैकल्पिक तौर पर(ऑप्शनल) चयनित विषय से संबंधित प्रश्नपत्र जो कि 300 अंक का होता था। इन दो प्रश्नपत्रों को उत्तीर्ण करने के उपरांत ही प्रत्याशी मुख्य परीक्षा में बैठने के योग्य होता था।
क्या हुआ बदलाव : अब सरकार ने घोषणा की है कि 300 अंक के किसी वैकल्पिक विषय के स्थान पर एक ऐसा परीक्षण प्रश्नपत्र होगा जिससे भावी अधिकारी की विश्लेषण क्षमता, त्वरित निर्णय लेने की योग्यता, सकारात्मक सोच, विपरीत परिस्थिति में संतुलन बनाए रखने का गुण, सुयोग्य प्रबंधक की दक्षता आदि का सही परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन होगा।
कैसा होगा प्रश्नपत्र : हालाँकि अभी इसका स्वरूप निर्धारित करने में 2 महीने लगेंगे। एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई है जो इस पर कार्यरत है। लेकिन मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि इस प्रश्नपत्र में मनोविज्ञान और व्यक्तित्व विकास से जुड़े सहज वस्तुनिष्ठ(ऑबजेक्टिव) प्रश्न होंगे। इन प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तर होगें। विद्यार्थी को किसी एक का चयन करना होगा। इनमें विविध अभिरूचि, सामाजिक दक्षता व विश्लेषणपरक क्षमता आदि से संबंधित प्रश्न होंगे।
क्यों है विरोध : जब घोषणा की गई तब यह नहीं स्पष्ट किया गया कि 2011 में इसे लागू किया जाएगा तो यह रिक्तियों के लिए लागू होगा या परीक्षा के लिए। क्योंकि दिसंबर में जो रिक्तियाँ आएँगी वे 2010 के लिए होंगी। तैयारी कर रहे विद्यार्थी कहते हैं कि अगर यूपीएससी की आने वाली परीक्षा में परिवर्तित पैटर्न लागू हुआ तो वैकल्पिक विषय की उनकी तैयारी व्यर्थ हो जाएगी साथ ही एप्टीट्यूड टेस्ट की सही जानकारी के अभाव में उनका भविष्य खराब हो सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि विरोध करने वाले अल्पज्ञानी है क्योंकि परीक्षा का नया पैटर्न किसी विशेष तैयारी की माँग नहीं करता बल्कि यह आपके भीतरी गुणों और दृष्टिकोण का आकलन करता है।
क्या होगा संभावित पाठ्यक्रम
विविध अभिरूचि
एडमिनिस्ट्रेटिव एप्टीट्यूड
इकोनोमी एप्टीट्यूड
सोशल एप्टीट्यूड
कूट परीक्षण
व्यावहारिक ज्ञान
किसे मिलेगा फायदा : वे लोग जो कैट और सेना की परीक्षा की तैयारी कर चुके हैं, वे लोग जो मैनेजमेंट की परीक्षाएँ दे चुके है उनके लिए यह परीक्षा आसान होगी। जो लोग पत्रकारिता और मॉस कम्यूनिकेशन जैसे क्षेत्रों से जुड़ें हैं। इंटरनेट पर जो लगातार ज्ञान अर्जित करते हैं। जो देश के मुद्दों पर अपनी मौलिक सोच रखते हैं। जो एक साथ एक ही समय में कई मोर्चों पर निपटने में सक्षम हैं। जो चुनौतीपूर्ण पहेलियाँ हल करने में माहिर है। उन सभी को इस बदलाव का उचित फायदा मिलेगा। कुल मिलाकर जिसमें किसी कंपनी के सीईओ की तमाम योग्यता हो वह फायदे में रहेगा।
पुस्तकें जो लाभ देगीं : वैसे तो सिलेबस तैयार होने पहले किसी भी प्रकार की सलाह जल्दबाजी होगी लेकिन मैनेजमेंट से संबंधित हर प्रकार और पहलू की पुस्तकें उपयोगी होगी। सकारात्मक सोच और व्यक्तित्व विकास की पुस्तकें फायदा देगीं। मानसिक योग्यता बढ़ाने वाली, देश की समस्याओं पर तैयार ताजातरीन निबंधों की पुस्तकें लाभ दे सकती हैं
in terview
कहीं गलती ना हो जाए
इंटरव्यू टिप्स
अक्सर फेल हुए स्टूडेंट्स शिकायत करते हैं कि सिलेक्शन बोर्ड ने मुझसे 15 प्रश्न पूछे थे जिसमें से मैंने 13 प्रश्नों के सही उत्तर दिए, प्रतिशत था 80। फिर भी उन्होंने मुझे फेल कर दिया। इंटरव्यू में अपने प्रदर्शन को इस कच्चे गणितीय रूप में निर्धारित करना गलत है।
सिलेक्शन या रिजेक्शन के लिए डिसीजिव फेक्टर्स (निर्णायक तत्व) हैं, दूसरे केंडिडेट्स की तुलना में बेहतर होना और ओवरऑल इंप्रेशन जो आप पैदा करते हैं।
1. प्रेजेंटेशन और कम्युनिकेशन का तरीका भी उतना ही इंपॉर्टेंट है, जितनी कि जवाब की एक्यूरेसी।
2. यह जरूरी है कि इंटरव्यू पैनल के मेंबर्स को प्रभावित करने के लिए भी तैयारी करें।
1. प्रश्नकर्ता द्वारा प्रश्न पूरा पूछे जाने से पहले ही उसका उत्तर देना प्रारंभ करना।
2. प्रश्न को समझे बिना कि उसके उत्तर में किन-किन बिंदुओं को सम्मिलित करना है, उत्तर देना।
3. इंटरव्यू के दौरान बॉडी लैंग्वेज पर नियंत्रण न रख पाना जैसे कुर्सी पर बैठे-बैठे एक पैर हिलाते रहना, आपस में उँगलियों को चटकाना, उत्तर देते समय हाथों के इशारों से समझाने की ज्यादा कोशिश आदि।
4. इंटरव्यू के दौरान यह शो करना कि आप इंटरव्यू बोर्ड के एंक्सपीरियंस्ड मेंबर्स से ज्यादा जानते हैं।
5. किसी प्रश्न से रिलेटेड सब्जेक्ट पर पूरी जानकारी न होने पर भी तोड़-मरोड़कर जवाब देने की कोशिश करना।
6. सब्जेक्ट का नॉलेज न होने के बावजूद बोर्ड के सदस्यों से बहस करना।
7.
एमबीए या चार्टर्ड एकाउंटेंट
एमबीए या चार्टर्ड एकाउंटेंट
- दीपिका शर्मा
ND
एकाउंटेंसी, ऑडिटिंग, और कंसलटेंसी जैसे कुछ विशेष डिपार्टमेंट हैं जो आपको आमतौर पर हर ऑफिस में देखने को मिल जाएँगे। सरकारी ऑफिस हो या निजी इन डिपार्टमेंट्स में काम करने वाले लोगों के रुतबे से हर कोई वाकिफ है। अब जब स्टेटस भी अच्छा और वेतन भी तो छात्र इस क्षेत्र में जाने से कतराते क्यों हैं?
हाल में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार कॉमर्स इंडस्ट्री में उच्च शिक्षा के दो पाठ्यक्रमों को लेकर छात्रों के बीच हमेशा कसमकश रहती है। ये दो कोर्सेस हैं- एमबीए और सीए।
सीए की पढ़ाई का रुझान कम
कॉमर्स से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि चार्टर्ड एकाउंटेंसी (सीए) की पढ़ाई को लेकर छात्रों के मन में कहीं न कहीं एक भय बना रहता है कि ये पाठ्यक्रम बहुत मुश्किल है। यह डर उन लोगों द्वारा बनाया हुआ होता है जो काफी समय पहले यह कोर्स कर चुके होते हैं या फिर उन लोगों द्वारा जिन्होंने सीए बनने की कोशिश तो की परंतु बन नहीं पाए।
कुछ वर्ष पूर्व हमारे समाज के एक बड़े वर्ग में माता-पिता अपने बच्चे की उच्च शिक्षा में 4 वर्ष नहीं लगाना चाहते थे। आम धारणा यह बनी रही के छात्र स्नातक हो गया, बस अब कमाने लग जाए। ऐसे में उच्च शिक्षा के नाम पर एमबीए नई दिशा निकलकर आई जिसने छात्रों को बेहद प्रभावित किया।
तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो आधी से भी कम अवधि की पढ़ाई! बस फिर क्या, गली-गली बी इंस्टिट्यूट तथा यूनिवर्सिटी खुलने लगीं। आज हर 4 में से 3 छात्र आपको एमबीए करते नजर आ जाएँगे। जबकि सीए की बात की जाए तो भारत में चार्टर्ड एकाउंटेट का मात्र एक इंस्टिट्यूट है जो कि जरूरत पड़ने पर ट्रेनिंग आयोजित करता है और परिणाम घोषित करता है।
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंट ऑफ इंडिया) एक ऐसा संस्थान है जहाँ आपको शून्य प्रतिशत बेरोजगारी देखने को मिलेगी।
ND
कंपेरिटिव स्टडी
सीए एक जीरो इनवेस्टमेंट वाला पाठ्यक्रम है जबकि एमबीए कोर्स की फीस आज आसमान छूती नजर आ रही है। ऐसे भी कॉलेज और यूनिवर्सिटी हैं जहाँ एमबीए की फीस 8 लाख से 20 लाख रुपए तक है। इसकी तुलना में सीए की पढ़ाई पर कुछ खास खर्चा नहीं है।'
1. कोई कंपनी एमबीए के बिना तो चलाई जा सकती है परंतु सीए के बिना नहीं।
2. प्रशिक्षु सीए को लगभग 4000 रुपए प्रति माह वजीफा (ट्रेनी स्टायपेंड) मिलता है जो तीन वर्ष में लगभग 1.4 लाख रुपए होता। इतनी ही फीस सीए की बैठती है।
3. एक सीए का वेतन भी एमबीए की तुलना में कहीं अधिक होता है। आईसीएआई के कैंपस प्लेसमेंट में ७ लाख रुपए सालाना का वेतन बहुत आराम से मिलता है।
4. यदि सामाजिक प्रतिष्ठा देखी जाए तो नाम से पहले सीए लिखा जा सकता है, एमबीए नहीं।
करेंट सिनेरियो
वर्ष 2008 के बाद से भारत में चार्टर्ड एकाउंटेंट की माँग तेजी से बढ़ रही है। विकासशील अर्थव्यवस्था में इस पाठ्यक्रम की काफी आवश्यकता है। आज भारत में किसी अन्य पाठ्यक्रम के योग्य पेशवरों की अपेक्षा सीए का महत्व बहुत ऊँचा हो गया है। वित्त और लेखा आउटसोर्सिंग की यदि बात की जाए तो केपीओ और बीपीओ के बढ़ते बाजार में चार्टर्ड एकाउंट के वारे-न्यारे होने हैं।
फिलहाल भारत में प्रतिवर्ष 9 से 10 हजार छात्र सीए की परीक्षाएँ पास करते हैं। एक आकलन है कि वर्ष 2010 के अंत तक देश में सीए की माँग 50 हजार हो जाएगी। यह कोर्स करने के बाद आप किसी भी प्रख्यात कंपनी में बतौर फाइनेंस मैनेजर, फाइनेंशियल कंट्रोलर, फाइनेंसियल एडवाइजर या फाइनेंस डायरेक्टर की हैसियत से काम कर सकते हैं। एकाउंटेंसी, ऑडिटिंग, कॉस्ट एकाउंटेंसी, टैक्ससेशन, इन्वेस्टीगेशन तथा कंसलटेंसी में भी आगे
हाल में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार कॉमर्स इंडस्ट्री में उच्च शिक्षा के दो पाठ्यक्रमों को लेकर छात्रों के बीच हमेशा कसमकश रहती है। ये दो कोर्सेस हैं- एमबीए और सीए।
सीए की पढ़ाई का रुझान कम
कॉमर्स से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि चार्टर्ड एकाउंटेंसी (सीए) की पढ़ाई को लेकर छात्रों के मन में कहीं न कहीं एक भय बना रहता है कि ये पाठ्यक्रम बहुत मुश्किल है। यह डर उन लोगों द्वारा बनाया हुआ होता है जो काफी समय पहले यह कोर्स कर चुके होते हैं या फिर उन लोगों द्वारा जिन्होंने सीए बनने की कोशिश तो की परंतु बन नहीं पाए।
कुछ वर्ष पूर्व हमारे समाज के एक बड़े वर्ग में माता-पिता अपने बच्चे की उच्च शिक्षा में 4 वर्ष नहीं लगाना चाहते थे। आम धारणा यह बनी रही के छात्र स्नातक हो गया, बस अब कमाने लग जाए। ऐसे में उच्च शिक्षा के नाम पर एमबीए नई दिशा निकलकर आई जिसने छात्रों को बेहद प्रभावित किया।
तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो आधी से भी कम अवधि की पढ़ाई! बस फिर क्या, गली-गली बी इंस्टिट्यूट तथा यूनिवर्सिटी खुलने लगीं। आज हर 4 में से 3 छात्र आपको एमबीए करते नजर आ जाएँगे। जबकि सीए की बात की जाए तो भारत में चार्टर्ड एकाउंटेट का मात्र एक इंस्टिट्यूट है जो कि जरूरत पड़ने पर ट्रेनिंग आयोजित करता है और परिणाम घोषित करता है।
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंट ऑफ इंडिया) एक ऐसा संस्थान है जहाँ आपको शून्य प्रतिशत बेरोजगारी देखने को मिलेगी।
सीए एक जीरो इनवेस्टमेंट वाला पाठ्यक्रम है जबकि एमबीए कोर्स की फीस आज आसमान छूती नजर आ रही है। ऐसे भी कॉलेज और यूनिवर्सिटी हैं जहाँ एमबीए की फीस 8 लाख से 20 लाख रुपए तक है। इसकी तुलना में सीए की पढ़ाई पर कुछ खास खर्चा नहीं है।'
1. कोई कंपनी एमबीए के बिना तो चलाई जा सकती है परंतु सीए के बिना नहीं।
2. प्रशिक्षु सीए को लगभग 4000 रुपए प्रति माह वजीफा (ट्रेनी स्टायपेंड) मिलता है जो तीन वर्ष में लगभग 1.4 लाख रुपए होता। इतनी ही फीस सीए की बैठती है।
3. एक सीए का वेतन भी एमबीए की तुलना में कहीं अधिक होता है। आईसीएआई के कैंपस प्लेसमेंट में ७ लाख रुपए सालाना का वेतन बहुत आराम से मिलता है।
4. यदि सामाजिक प्रतिष्ठा देखी जाए तो नाम से पहले सीए लिखा जा सकता है, एमबीए नहीं।
करेंट सिनेरियो
वर्ष 2008 के बाद से भारत में चार्टर्ड एकाउंटेंट की माँग तेजी से बढ़ रही है। विकासशील अर्थव्यवस्था में इस पाठ्यक्रम की काफी आवश्यकता है। आज भारत में किसी अन्य पाठ्यक्रम के योग्य पेशवरों की अपेक्षा सीए का महत्व बहुत ऊँचा हो गया है। वित्त और लेखा आउटसोर्सिंग की यदि बात की जाए तो केपीओ और बीपीओ के बढ़ते बाजार में चार्टर्ड एकाउंट के वारे-न्यारे होने हैं।
फिलहाल भारत में प्रतिवर्ष 9 से 10 हजार छात्र सीए की परीक्षाएँ पास करते हैं। एक आकलन है कि वर्ष 2010 के अंत तक देश में सीए की माँग 50 हजार हो जाएगी। यह कोर्स करने के बाद आप किसी भी प्रख्यात कंपनी में बतौर फाइनेंस मैनेजर, फाइनेंशियल कंट्रोलर, फाइनेंसियल एडवाइजर या फाइनेंस डायरेक्टर की हैसियत से काम कर सकते हैं। एकाउंटेंसी, ऑडिटिंग, कॉस्ट एकाउंटेंसी, टैक्ससेशन, इन्वेस्टीगेशन तथा कंसलटेंसी में भी आगे
Saturday, November 20, 2010
8 Tips on How to Impress a Girl
So it finally happened. You saw her in a party…standing
quietly in a corner as if waiting just for you. And before you
knew cupid had played its favorite pastime at your expense.
Really…feels like being on top of the world… Doesn’t it? A
feeling that is better left unexplained, which can be
experienced just by a person who is in love.
So, now that the easier part is over, let us come to the
tricky issue. You’ve fallen in love but the girl of your dreams
probably doesn’t even know about it.
How to impress a girl and make her
How to impress a girl and make her
fall in love with you is the next
question that crops up. It seems a
tough task at first, especially if you
are a little shy and introvert, but it
isn’t as tough as rocket science
either.
1. The mantra to success here is to
be your self. Remember, girls like guys who do not try to be
like someone else or pretend to be over smart just to
impress others. Such things can easily put off girls and could
end your quest even before beginning. After all, first
impression is often the last impression.
2. The key here is not even trying
to think about impressing the
girlwhen you are actually trying to
do so. The reason for this being that
guys often lose their originality and
go out of the way when trying to
impress girls and end up being
labeled as mere show-offs. The best way, thus, to go about
the job is to be your own self and let things happen on their own.
3. Another big mistake that guys often make is to think
that girls are impressed by money. However, the truth is
that if a girl is with someone because the guy has money
then she is only interested in the money and not the guy.
More than money and material things, what girls look for in
a guy is a caring attitude, the way he talks and presents himself as well as a good sense of humour. Having these qualities can easily overshadow the lack of money.
4. Girls come across numerous men who try to impress them
with all that they’ve got. But the sad part is that most end
up losing their originality and are put in the same category
and labeled as losers. There is a huge possibility that you
too may end up in the same category unless you are
different than the others.
5. Try to kick start a conversation, which in turn may and
often does lead to the start of a relationship. But to be able
to talk something that makes sense, you would have to be
intelligent and know about various interesting things. The
mantra to become knowledgeable is to read a lot and try to keep up-to-date with the events around you.
6. Another thing that most guys are usually careless about is
personal hygiene. Try to dress smartly and comb your hair
properly as an untidy looking person can be a put-off for
anybody. Try to be a little humorous but refrain from being
too outspoken as it may offend the other person.
7. Respect the girl and give her some space so that she
does not feel like wanting to get out of the place quickly. A
good way to break the ice is to start by asking her the time
and praise her watch.
8. If you are going to a restaurant, remember that the boy is expected to pay the bill.
Follow the above tips and you will surely be able to impress the girl of your dreams!
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