Sunday, October 23, 2011

समझें बॉडी लैंग्वेज


अगर आप बॉडी लैंग्वेज को समझते हैं तो बातचीत के दौरान आप सामने वाले की विभिन्न मुद्राओं को देखकर उसके मनोभावों को कहे बिना भी समझ सकते हैं। वहीं बॉडी लैंग्वेज की समझ रखने वाले इसका भरपूर फायदा उठाते हैं।
संप्रेषण विज्ञान पर काम करने वाले शोधार्थियों का मानना है कि हम जो कुछ भी कहते हैं उसके साथ यदि सही शारीरिक भाषा को भी जोड़ दिया जाए, तो हम उसके अर्थ का अधिक-से-अधिक सटीक संप्रेषण करने में सफल हो सकते हैं।
यहां कुछ शारीरिक भंगिमाओं और मुद्राओं और उनके अर्थ की एक सूची दी जा रही है, लेकिन अलग-अलग परिस्थितियों में इसके अर्थ बदल भी सकते हैं।
मुद्राएं (अर्थ)
  1. आगे की ओर पसरा हुआ हाथ (याचना करना)
  2. मुखाकृति बनाना (धीरज की कमी या अधीर)
  3. कंधे घुमाना फिराना या उचकाना (विदा होना, अनभिज्ञता जाहिर करना)
  4. मेज पर उंगलियों से बजाना (बेचैनी)
  5. मुट्ठी भींचना और थरथराना (गुस्सा)
  6. आगे की ओर उठी और सामने दिखती हथेली (रकिए और इंतजार कीजिए)
  7. अंगूठा ऊपर उठा हुआ (सफलता)
  8. अंगूठा गिरा हुआ (नुकसान)
  9. मुट्ठी बंद करना (डर)
  10. आंख मींचना (ऊबना)
  11. हाथ से किसी एक दिशा की ओर इशारा करना (जाने के लिए कहना)
  12. तेज ताली बजाना (स्वीकृति)
  13. धीरे से ताली बजाना (अस्वीकार, नापसंदगी)
  • किसी भी व्यक्ति की लोकप्रियता उसकी शक्ति से नहीं नापी जा सकती, बल्कि देह भाषा आपके व्यक्तित्व का आइना है और आइना कभी झूठ नहीं बोलता।
  • अकेले रहने की आदत डालिए और एकांत से मिलने वाले लाभों को भुनाइए, क्योंकि वे लाभ आपको सफलता की ओर ले जाएंगे।
  • यदि आपकी जेब में पैसा नहीं है, तब आप शहद की तरह मीठा बोलिए। गुस्से को पी जाइए और आगे बढ़ने का मार्ग खोजिए, क्योंकि यह देह भाषा का एक हिस्सा है, जो आपको बड़ा आदमी बनाएगा।
  • बुरी आदतों में सुधार करने की बजाय, उन्हें छोड़ने की कोशिश करें, क्योंकि बुरी आदतें आपकी देह भाषा पर बुरा प्रभाव डालती हैं।
  • सुनने में फुर्तीले, बोलने में सुस्त तथा क्रोध करने में अधिक सुस्त बनो। फिर सफलता के बंद दरवाजे अपने आप खुलने लगेंगे।
  • बेईमान होने की अपेक्षा आपका गरीब होना ज्यादा अच्छा है, क्योंकि देह भाषा आपके बेईमान होने की पोल खोल देगी।
  • श्रेष्ठता तब आती है, जब एक व्यक्ति दूसरों की तुलना में खुद अपने से ज्यादा सवाल पूछता है। फिर उसकी देह भाषा उसी के अनुसार बन जाती है।
  • प्रतिष्ठा के बिना श्रेष्ठता आ सकती है, लेकिन बिना श्रेष्ठता के प्रतिष्ठा का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि प्रतिष्ठा ही मनुष्य को आगे बढ़ते रहने का रास्ता दिखाती है।
  • देह भाषा में खुशामद का कोई महत्व नहीं है, लेकिन प्रशंसा का देह भाषा में बहुत महत्व है, क्योंकि प्रशंसा से देह भाषा में निखार आता है।

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