Sunday, November 21, 2010

प्रशासक नहीं प्रबंधक चाहिए


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भविष्य में देश को अब ऐसे प्रशासनिक अधिकारी मिलने वाले हैं जो एक अलग तरह की अग्नि-परीक्षा से गुजरे होंगे। हाल ही में सरकार ने घोषणा की है कि आईएएस की प्रीलिम्स में होने वाले वैकल्पिक विषय के स्थान पर एक एप्टीट्यूड टेस्ट होगा। इस टेस्ट के माध्यम से भावी प्रशासनिक अधिकारी का परिस्थितियों के प्रति दृष्टिकोण, आपात स्थिति में संतुलन क्षमता, प्रबंधन क्षमता, व्यक्तित्व में छुपे नेतृत्व के बेहतरीन गुणों आदि का मूल्यांकन होगा।

इस बदलाव को भिन्न-भिन्न नजरिए से देखा जा रहा है। एक तरफ विशेषज्ञों का मत है कि यह परिवर्तन सही मायनों में एक कुशल अधिकारी तलाशने में कामयाब होगा वहीं तैयारी में लगे विद्यार्थियों का कहना है कि 2011 की यूपीएससी परीक्षा में इसे लागू करने के बजाय सन 2012 में आरंभ किया जाए क्योंकि फिलहाल वे मानसिक रूप से इस परीक्षा के लिए तैयार नहीं है। 

अब तक क्या थी प्रक्रिया : वर्तमान में आईएएस की परीक्षा के लिए होने वाली प्राथमिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र होते थे। एक 150 अंक का सामान्य अध्ययन का प्रश्नपत्र। दूसरे वैकल्पिक तौर पर(ऑप्शनल) चयनित विषय से संबंधित प्रश्नपत्र जो कि 300 अंक का होता था। इन दो प्रश्नपत्रों को उत्तीर्ण करने के उपरांत ही प्रत्याशी मुख्य परीक्षा में बैठने के योग्य होता था। 

क्या हुआ बदलाव : अब सरकार ने घोषणा की है कि 300 अंक के ‍किसी वैकल्पिक विषय के स्थान पर एक ऐसा परीक्षण प्रश्नपत्र होगा जिससे भावी अधिकारी की विश्लेषण क्षमता, त्वरित निर्णय लेने की योग्यता, सकारात्मक सोच, विपरीत परिस्थिति में संतुलन बनाए रखने का गुण, सुयोग्य प्रबंधक की दक्षता आदि का सही परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन होगा। 

कैसा होगा प्रश्नपत्र : हालाँकि अभी इसका स्वरूप निर्धारित करने में 2 महीने लगेंगे। एक ‍विशेषज्ञ समिति बनाई गई है जो इस पर कार्यरत है। लेकिन मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि इस प्रश्नपत्र में मनोविज्ञान और व्यक्तित्व विकास से जुड़े सहज वस्तुनिष्ठ(ऑबजेक्टिव) प्रश्न होंगे। इन प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तर होगें। विद्यार्थी को किसी एक का चयन करना होगा। इनमें विविध अभिरूचि, सामाजिक दक्षता व विश्लेषणपरक क्षमता आदि से संबंधित प्रश्न होंगे। 

क्यों है विरोध : जब घोषणा की गई तब यह नहीं स्पष्ट किया गया कि 2011 में इसे लागू किया जाएगा तो यह रिक्तियों के लिए लागू होगा या परीक्षा के लिए। क्योंकि दिसंबर में जो रिक्तियाँ आएँगी वे 2010 के लिए होंगी। तैयारी कर रहे विद्यार्थी कहते हैं कि अगर यूपीएससी की आने वाली परीक्षा में परिवर्तित पैटर्न लागू हुआ तो वैकल्पिक विषय की उनकी तैयारी व्यर्थ हो जाएगी साथ ही एप्टीट्यूड टेस्ट की सही जानकारी के अभाव में उनका भविष्य खराब हो सकता है। 

विशेषज्ञ मानते हैं कि विरोध करने वाले अल्पज्ञानी है क्योंकि परीक्षा का नया पैटर्न किसी विशेष तैयारी की माँग नहीं करता बल्कि यह आपके भीतरी गुणों और दृष्टिकोण का आकलन करता है।

क्या होगा संभावित पाठ्यक्रम 
विविध अभिरूचि 
एडमिनिस्ट्रेटिव एप्टीट्यूड 
इकोनोमी एप्टीट्यूड 
सोशल एप्टीट्यूड 
कूट परीक्षण 
व्यावहारिक ज्ञान 

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समग्र ज्ञान जरूरी : अब तक चयनित या नियुक्त प्रशासनिक अधिकारी यह तो जानता रहा है कि उसके वैकल्पिक विषय की क्या बारीकियाँ है मगर हो सकता है वह टाडा और रासुका से अनभिज्ञ हो। हो सकता है उसे कर्फ्यू और धारा 144 में अंतर ना पता हो। यह भी संभव है कि उसे देश की अर्थव्यवस्था के बारे में कोई जानकारी ना हो। परीक्षा का यह बदलाव माँग करता है कि प्रशासनिक अधिकारी में इतनी मानसिक योग्यता और समझ हो कि जनता को एक संपूर्ण व्यक्तित्व की सेवा ‍मिल सके। अब तक किसी एक विषय का संपूर्ण ज्ञान रखने वाला प्रत्याशी योग्य माना जाता था लेकिन प्रबंधकीय अनिवार्यता के चलते अब हर विषय का थोड़ा-थोड़ा लेकिन आवश्यक ज्ञान अपेक्षित होगा। 

किसे मिलेगा फायदा : वे लोग जो कैट और सेना की परीक्षा की तैयारी कर चुके हैं, वे लोग जो मैनेजमेंट की परीक्षाएँ दे चुके है उनके लिए यह परीक्षा आसान होगी। जो लोग पत्रकारिता और मॉस कम्यूनिकेशन जैसे क्षेत्रों से जुड़ें हैं। इंटरनेट पर जो लगातार ज्ञान अर्जित करते हैं। जो देश के मुद्दों पर अपनी मौलिक सोच रखते हैं। जो एक साथ एक ही समय में कई मोर्चों पर निपटने में सक्षम हैं। जो चुनौतीपूर्ण पहेलियाँ हल करने में माहिर है। उन सभी को इस बदलाव का उचित फायदा मिलेगा। कुल मिलाकर जिसमें किसी कंपनी के सीईओ की तमाम योग्यता हो वह फायदे में रहेगा। 

पुस्तकें जो लाभ देगीं : वैसे तो सिलेबस तैयार होने पहले किसी भी प्रकार की सलाह जल्दबाजी होगी लेकिन मैनेजमेंट से संबंधित हर प्रकार और पहलू की पुस्तकें उपयोगी होगी। सकारात्मक सोच और व्यक्तित्व विकास की पुस्तकें फायदा देगीं। मानसिक योग्यता बढ़ाने वाली, देश की समस्याओं पर तैयार ताजातरीन निबंधों की पुस्तकें लाभ दे सकती हैं

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